संतवाणी (भाग - १)
संतों के वचनों का अनूठा संगम व समसामयिक अर्थ
जब-जब समाज में धर्म के प्रति अनादर बड़ा है और आम-आदमी की चेतना को पाखंड ने घेरा है, तब-तब संतों ने अपने वचनों से हमारे मन को शीतलता प्रदान की है और सामाजिक चेतना को शुद्ध किया है। इस श्रृंखला में आचार्य जी ने संत कबीरदास, तुलसीदास, पलटूदास, दादू दयाल, सहजोबाई, मलूकदास, दरियादास आदि संतों की वाणी पर चर्चा की है। जानिए उनके वचनों की जीवन में सार्थकता को आचार्य प्रशांत के साथ इस बोधशाला में।